Thursday, April 25, 2013

दुर्लभ काया




 काया दुल्हन
चढ़ पालकी चली
पिया मिलन

तन पिंजरा
उड़ जाएगा पंछी
अनंत यात्रा

दुर्लभ काया
देवगण तरसे
 वृथा  गंवाया

रूह मदारी
तन कठपुतली
कहे नाचो री

देह नश्वर
कहते ज्ञानी जन
आत्मा अमर

6 comments:

  1. वाह बहुत ही सुन्दर हाइकू प्रस्तुत किये हैं आपने, प्रस्तुत चित्र को सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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    1. @arun sharma ji ..... tahedil se sukrgujaar hu apki ... apni amul pratikriya de kar apne mera utsaah badhaya :) sadar :)

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  2. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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