एक नज़र ..चलते चलते
Wednesday, January 21, 2015
क्षणिकायें
क्षणिकायें
१)
हटात चमकती
भुकभुकाती लौ
टूटता तारा
कौतुहलवश
इन्हें देखना और खुश होना
और बात होती है
इस अवस्था को जीना
जिन्दगी नासूर बना देती है
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२)
जरुरी है
रहे कुछ प्यास अधूरी
पूर्णमासी
है आहट
अमावस्या की
Friday, January 16, 2015
सूरज का इन्तजार
क्षणिका एक प्रयास -- सुझावों का स्वागत है :)
क्षणिका १)
अजब निराली
आँधियों की अदा
उड़ा ले जाती
धूल पुरानी
धर देती नई
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क्षणिका २)
जम गयी है
डल झील
अब
नहीं चलते शिकारे
हसीं ख़्वाबों के
इन आँखों को है
सूरज का इन्तजार
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