चलो आज पुरानी धूल भरी गलियों में बचपन की पीठ पर धौल एक जमाये अम्मा के पल्लू से पोंछे फिर हाथ आसमां को मुट्ठी में फिर बांध लाये अब्बा का चश्मा छुपा दे कहीं पर आँखों में उनकी सितारे भर आयें उड़ाये पतंग फिर सपनो की डोर बाँध आजादी का चलो जश्न यूँ मनाये नाचे बरसात में छई छपाक छई कागज की कश्ती को छाता उढ़ाये चुरा लाये मनीप्लांट पडोसी के घर से ख्वाहिशो की अपनी फेहरिस्त बनाये सोया मोहल्ला एक पटाखा चलाये चलो न फिर से हम बच्चे बन जाए