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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Saturday, July 23, 2016

दोहा -अंतरजाल ,प्रीत



दोहा एक प्रयास ___/\___
१)
अंतरजाल का बज रहा जग में डंका जोर ।
अक्कड़ बक्कड भूले बच्चे थामे माउस छोर ॥
२)
 प्रीत की कैसी बानगी नेह समझ ना आय ।
भँवरे को जिनगी मिली पतिंगा जान गँवाय ॥


   

Thursday, July 7, 2016

यूँ ही चलते चलते .... दो लाइन (१)



यूँ ही चलते चलते  .... दो लाइन
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१)
नजर तुझसे हटती नहीं नजारों का क्या करूँ
तुझसे ही आबाद जिंदगी बहारों का करूँ  ।
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२)
लानतों मलालतो का दौर है थोड़ा और चलने दो
ये खुशबू  है प्यार की खुलकर बिखरने दो  ।
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३)
मेरी मैय्यत पर  जब आना थोड़ी मुस्कान ले आना ,
अच्छा नहीं होता मुर्दे की खातिर फूलों को सजा  देना  ।
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४)
सुना है तन्हाईयाँ ,रुस्वाइयाँ ,बेवफाईयाँ ,सौगाते है इश्क की ,
छोडो सनम माफ़ करो  ये इश्क नहीं मुझ गरीब के बस की ।
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Friday, July 1, 2016

प्रीत को प्रीत ही रहने दो यारो ,





प्रीत  को प्रीत  ही रहने दो यारो ,
वफ़ा जफा का खेल ना  कहो यारो ,
टूटना संवरना  है रीत जीवन की ,
आँचल प्रीत का मैला न करो  यारो । 
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