Friday, June 4, 2021

बादल !! तुम आते रहना

सुनो न बादल - 
तुम आते रहना !!
मानवता का ह्रास  देख कर 
काल का   निर्मम त्रास देख कर 
पाषाण  होते हृदय खंड पर 
संवेदना की बौछारें बरसाते रहना 
कि
शुष्क न हो हृदय की भावभूमि
पर दुःख में रोना  ,पर सुख में  हरियाना
भूल न जाएं रिश्तों को निभाना 
करुणा धार  बरसाते रहना 
सुनो न बादल -
तुम आते रहना !!

19 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०६-२०२१) को 'बादल !! तुम आते रहना'(चर्चा अंक-४०८७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक शुक्रिया

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  2. बहुत सुंदर सृजन।
    भावों से ओतप्रोत।
    बादल तुम आते रहना।
    वाह!

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    1. मेरी रचना पर आपकी टिप्पणी ने इसका मान और बढ़ा दिया है दिल से आभार ।

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  3. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय

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  4. वाह, स्नेहिल आत्मीय भाव से बादल को आमंत्रण,आपकी रचना मन को छू गई ।

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  5. सुंदर एवं भावपूर्ण रचना ....

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  6. बहुत ही लाजवाब सृजन

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  7. संवेदनाएँ सूख रहीं
    उनको ही हरियाने को
    बदल तुम आते रहना ।

    बेहतरीन प्रस्तुति

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  8. सुंदर आह्वान बादलों से

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  9. सच नेह के बदरा बरसने चाहिए तभी शुष्कता नहीं आएगी रिश्तों में

    बहुत सुन्दर

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  10. सुंदर, सार्थक रचना !........
    Mere Blog Par Aapka Swagat Hai.

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  12. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति
    बादल को बुलाने से पहले हमें पेड़ लगाने होंगे।

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