Friday, May 24, 2013

एक मुट्ठी धुप





बिखरने दो
एक मुट्ठी धुप
आँगन में मेरे
छाँव की कालिमा
अब  सही नहीं जाती


खिलने दो
खुशियों के फूल
बगिया में मेरे
झरते पत्तो  की जुदाई
अब सही नही जाती

22 comments:

  1. जुदा हों पत्ते
    जरा ना दुःख माने
    शाखाएं रोती

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    1. बहुत खूब @राजीव सर जी ..आप मेरे ब्लॉग पर आयेऔर कीमती प्रतिक्रिया से मुझे अनुगृहित किया ..आभारी हु तहे दिल से :)

      साख बेबस
      हवाओं संग प्रीत
      उड़ते पत्ते

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  2. एहसास खूबसूरती से लिखे हैं.

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  3. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  4. ye apka baddapan hai .. me to bas ek kosis karti hu man ke vicharo ko ek aakar dene ki :) apne apni pratikriya se ise nikhar diya :) sukriya @sanjay ji

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  5. निहायत ही खूबसूरती से भावों को अभिव्यक्त किया है, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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    1. एक छोटा सा प्रयास करती हु अब आप सभी का आशीर्वाद मिल रहा है तो खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हु .. हार्दिक आभार आदरणीय @ताऊ जी :)

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  6. शुभ संध्या
    अनुपम रचना...
    आपको फॉलो कैसे करूँ
    सादर

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    1. .. हार्दिक आभार आदरणीय @yashoda ji ... khusi huyi jaan kar ap judna chahti hai .. blog ko join to kar liya hai apne yahi se follow ho jayega :) or koi tarika abhi mujhe bhi nahi pata :(

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  7. प्रेम की गहनता को खूबसूरत अहसास के साथ व्यक्त किया है आपने...आपसे बातें करके भी आज अच्छा लगा..आपके ब्लॉग को ज्वाइन कर लिया है....यूँ ही लिखती रहिए...मंगल कामनाओं के साथ..
    सादर/सप्रेम,
    सारिका मुकेश

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    1. एक छोटा सा प्रयास करती हु अब आप सभी का आशीर्वाद मिल रहा है तो खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हु .. सच में अज आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा .. :) उम्मीद है हमारी ये दोस्ती युही फलती फूलती रहेगी :) आभार :)
      @sarika mukesh ji

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  8. वाह वाह क्या कहने बेहतरीन पंक्तियाँ बहुत ही संजीदगी से लिखी है आपने.

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  9. @Arun sharma ji ..tahedil se aabhaar apka ... :)jai shree krishna

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    1. @kaushal lal ji ...swagat hai apka .. apko rachna paand ayi meri lekni ko thoda bal mila sukriya dil se :)

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  11. एक मुट्ठी धूप!

    कितनी सुन्दर परिकल्पना!

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