Thursday, October 3, 2013

ॐ ज़प ले





ओ राम दुलारे ,रहिमन प्यारे
तू नानक भज या ईसा ध्याले
सब  में मैं ही बसा 
जरा ध्यान तू करले ... 
ॐ जाप तू कर ले ....ॐ ॐ ज़प ले

जा तू काशी  या जा काबा
गुरूद्वारे जा या तू गिरिजा
महल अनेको तुमने बनाये
पर मैं तेरे मन का चेरा
जरा झांक तू मन में .......
ॐ जाप तू करले ......ॐ ॐ ज़प ले

धर्म अनेकों तुमने पाले
पर इंसा धर्म न पाला रे
पाना चाहो मुझको तो फिर
इंसा बन के दिखाना रे
जरा मन में विचार ले .......
ॐ जाप तू करले ......ॐ ॐ ज़प ले

कहले मुझको ॐ या अल्लाह
होली सोल या एक आधारा
मैं तो हूँ बस प्रेम की इक लौ
जलना चाहूँ  तेरे अन्दर 
जग रोशन कर दे .... .

ॐ जाप तू करले ......ॐ ॐ ज़प ले






6 comments:

  1. सुन्दर धार्मिक भाव ।

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    1. प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार @दुर्गा प्रसाद जी :)

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  2. ओम ही तो एक तत्व है जो सब में सामान है ...

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  3. रचना पर आपकी अनमोल प्रतिक्रया के लिए हार्दिक् आभार :)

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  4. सुन्दर ब्लॉग और रम्य रचना |

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    1. स्वागत है आपका तुषार जी .. सराहना के लिए हार्दिक आभार :)

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