Monday, March 31, 2014

जागती रही निशा



समेटती रही 
यादों की कतरन 
शबनम के मोती से 
पिरोती रही 
मेरे ख्वाबों की माला 
बैचैन हवाएं 
सर्द रातों में 
सुलगाती रही चिंगारियां
अरमानों की राख  तले 
जागती रही निशा 
बन के हमराज 
अश्को को मेरे 
भर के आँचल में 
अम्बर का आँगन 
सजाती रही 
रात भर .........,,


Wednesday, March 5, 2014

भारत की नारी


१)सरगम है लोरी है 

भारत की नारी 
रेशम की डोरी है । 

२)
अबला जिसको  माना 
लक्ष्मी बाई है 
तुम भूल नही जाना । 


३)
बाती - सी जलती है
दीपक बन नारी
घर का तम हरती है ।
४)
सीता का सत जिसमे
तुलसी - सी पावन
गौरी का तप इसमें ।


5)
सपने लाखो मन में
करुणा का सागर
कजरारी आँखों में

६)
परिवार न पूरा है
नारी तेरे बिन
ब्रह्माण्ड अधुरा है ।


७)
बिन पात न पेड़ सजे
मसली जो कलियाँ
फल फूल कहाँ उपजे ।