एक नज़र ..चलते चलते
Sunday, May 31, 2015
अंतिम कश
क्षणिका
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बेबस
देखता रहा
टकटकी लगाये
छलकती ,ममतामयी आँखें
दम तोड़ती
पिता की अभिलाषाएं
धीरे -धीरे
धुएं के छल्लो में
विलीन होते
जिंदगी लगा चुकी थी
अंतिम कश
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