Friday, June 26, 2015

मोमबत्तियां



क्षणिका
--------------------
मोमबत्तियां
-------------------------

जल उठती है
मोमबत्तियां
हर हादसे के बाद
पर मिटा नहीं पाती  अँधेरा
जला  नही पाती पट्टी
न्याय की देवी की आँखों पर बँधी
पिघला नही पाती
इंसानियत की  धमनी में जम चुके
रक्त के थक्के
 हताश,बुझी  मोमबत्तियां
करने लगती है इन्तजार
फिर
 किसी कली के मसले जाने का..



No comments:

Post a Comment