एक नज़र ..चलते चलते
Wednesday, March 30, 2016
दिलो की आग न छेड़ो ये दरिया तूफानी है ,
नदी की राह न रोको ये सिंधु की दीवानी है ,
दिलो की आग न छेड़ो ये दरिया तूफानी है ,
कभी खुद की कभी जग हस्ती ये मिटा डाले
पाकीजा इश्क की जग में ये अंतिम निशानी है ।
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