Wednesday, April 3, 2013

चाँद मचला



चाँद मचला
छूने चला सरिता
चांदनी संग

भर आगोश
सरिता निहारती
प्रिय का रूप


भीगी हवाएं

ख़त लायी पिया का
क्षत विक्षत 



 बैठी सुस्ताने


ढलती हुयी साँझ

बबूल छांव




सत्य है टंगा
साक्ष्य की शूली पर
तडपे नंगा 



प्रेम दीपक

जले मन मंदिर
नेह की बाती 

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