Saturday, April 20, 2013

जय माँ अम्बे



मोक्षदायिनी
साधना भक्ति तप
दुर्गम पथ

जीवन पथ
करे मार्ग प्रशस्त
कर्म साधना

चाहूँ न कुछ
भक्ति वर देना माँ
प्रत्येक जन्म

चंचल चित्त
साधू जितना इसे
बहके नित

सौम्य सरल
दमके मुख मैया
मैं बलिहारी

जग जननी
हरो तम जग का
तू है कल्याणी

लाल चुनर
गले मुंडमाल है
माँ का शृंगार

सौम्य भारत
कलुषित ह्रदय
जनमानस

ये बर्बरता
बना भाग्य हमारा
क्यूँ पूजे माता ??!!

साध्य साधता
साधक तन मेरा
मन बाधक

No comments:

Post a Comment