Friday, January 18, 2013

शाश्वत प्रेम


                                                 
                                                  

बांसुरी बनूँ
तेरे होठो पे सजू
गीतों में ढलूँ

नैन हमारे
बसे ख्वाब तुम्हारे
है मनमानी /अतिक्रमण


कोमल साँसे
बांधे नाजुक रिश्ते
फिर से जी ले

नैना बाबले
शरमो हया भरे
झुके रहते

मन के घाव
बन गए नासूर
रिसते रहे

झूमे मनवा
सुन री ओ पुरवा
संग है पिया

मनमोहन
बड़ा है चित्तचोर
भोली ग्वालन

चालाक बड़ी
करे है पक्षपात
बांसुरी तेरी

कूकी  कोयल
अमवा की डारी पे
छाया वसंत

शाश्वत प्रेम
राधामोहन युग्म
जग क्या जाने



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