Wednesday, February 13, 2013

haiku gulshan




जारी है जंग
मेघो की भानु संग
नभ प्रांगन


सर्द हवाएं
करती उपहास
क्षुब्ध  किरणे 


मुस्कान  तेरी
डस गयी बैरन
ये महंगाई 


प्रिये ...स्वागत
नवयुग तुम्हारा
कहे  युगांत

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