दोहे एक प्रयास
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१) सावन बरसा झूम के , खिले शाख पर बौर ।
सूखा आँगन "नेह " का , वृद्धाश्रम अब ठौर ॥
२) नैना बरसे दिवस निशि , बाँझ कहे जो कोय ।
कभी न सूखे मेह से , बीज अंकुरित होय । ।
३ ) पिया- पिया जपे मन ये ,भँवरे सा मँड़राय ।
"नेह" न मीरा साधिका, मोहन कैसे पाय ।
४) पिया प्रवासी कर रहे ,मैमन के सँग रास ।
"नेह " विरहिनी खोलती , चन्द्र देख उपवास ॥