शोर ,शोर ,शोर
हर तरफ शोर है
आरती का शोर
अजान का शोर
देश भक्ति का शोर
देश द्रोह का शोर
धर्म का शोर
जातियों का शोर
प्रीत का शोर
रीत का शोर
फागुन में उड़ते गुलाल का शोर
राहों में उड़ते गुबार का शोर
कभी कुछ पल जब अकेली बैठती हूँ
तो अपने ही आकांक्षाओं और
लालसाओं का शोर
कितने आदि हो गए है हम इस शोर के
सोचती हूँ कभी जब वाकई शान्ति होगी
तो कहीं हम उस शांति के शोर से
पागल तो नही हो जाएंगे ???
-- सुनीता अग्रवाल "नेह"