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Sunday, August 16, 2015
Tuesday, August 4, 2015
चलो आज पुरानी धूल भरी गलियों में
चलो आज पुरानी धूल भरी गलियों में
बचपन की पीठ पर धौल एक जमाये
अम्मा के पल्लू से पोंछे फिर हाथ
आसमां को मुट्ठी में फिर बांध लाये
अब्बा का चश्मा छुपा दे कहीं पर
आँखों में उनकी सितारे भर आयें
उड़ाये पतंग फिर सपनो की डोर बाँध
आजादी का चलो जश्न यूँ मनाये
नाचे बरसात में छई छपाक छई
कागज की कश्ती को छाता उढ़ाये
चुरा लाये मनीप्लांट पडोसी के घर से
ख्वाहिशो की अपनी फेहरिस्त बनाये
सोया मोहल्ला एक पटाखा चलाये
चलो न फिर से हम बच्चे बन जाए
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