पहले jnu तदोपरांत जादवपुर विश्वविद्यालय में जो कुछ घटित हुआ वो बेहद शर्मनाक है अपने ही देश के खिलाफ नारे लगाना। ये किस दिशा में चल पड़ी है ये नयी पढ़ी लिखी पीढ़ी। ये कैसी आग लगा रहे है सियासतदार अपने ही देश में। अफ़सोस जनक होने के साथ विचारणीय मुद्दा है ये आखिर युवाओं में ये भावना क्यों कैसे पनपी इन पे गहराई से अध्ययन करना होगा वरना ये आग नई फसलो को निगल जाएगी ,,,,
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क्षमस्व क्षमस्व हे भारती कर दो क्षमा ...
वन्दे मातरम ,जय हिन्द का नारा जहाँ गूंजता घर घर में
आतंकियों का महिमामंडन अब हो रहा उस भारत वर्ष में ।
सत्य अहिंसा और प्रेम की बहती थी रसधार जहाँ
बहा दिया नफरत का दरिया भारती तेरे ही लालो ने ।
वीरो ने जान गँवा दी जिस माँ की लाज बचाने को
मंडी में पहुचा दिया उसको आजादी के दल्लो ने ।
भगत ,सुभाष, गाँधी की मूर्ति सडको पर है लगी हुयी
चोर ,लुटेरे ,आतंकी अब पूजित हो रहे मदिर में ।
शस्य श्यामला भूमि ये जाति ,धर्म में बंट गयी
वोटो के व्यापारियों ने आग लगा दी फसलो में ।
क्षमस्व क्षमस्व हे भारती कर दो क्षमा ...