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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, September 1, 2015

रिश्ता


करने लगा है  बात   आँखों में आँख डाल
 आँचल में छिपने वाला  शेर  हो चला है ।

निकाल देता है वर्षा को चाहे जब घर से
रुख आसमान का क्यों कड़ा हो चला है ।

निभ गया दो दिन तो जश्न मनाने लगे
रिश्ता भी फेविकोल का एड हो चला है ।

रख आया है दीपक रात चौराहे पर
था इंसान अब मसीहा हो चला है ।

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