जिस भारत की बर्बादी के तुमने लगाये नारे
अभिव्यक्ति की ये आजादी तुझको दी इसी ने प्यारे
"कितने सैनिक मारोगे ,घर घर से सैनिक निकलेंगे
दुश्मन तेरी बर्बादी तक हम लड़ेंगे हम कटेंगे
है अगर देश के लिए अभिमान मन में प्यारे
जाकर सीमा पर लगाओ फिर अब तुम ये नारे
धब्बे तुम्हारे दामन के यूँ ही नही मिटेंगे
कतरे तेरे लहू के जब तक देश को न सींचेंगे ।
*सुनीता अग्रवाल (नेह) *
देश की बर्बादी के नारे लगाने वाले अब jnu में शरण लिए हुए है अभी तक न तो उन्होंने आत्म समर्पण किया है न पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर पायी है । अजीब बात । आखिर क्यों विश्वविद्यालय उन्हें बचाना चाहता है। .अगर उन्होंने कोई गलत काम नहींकिया तो डरने की क्या आवश्यकता है ?क्यों नही अपनी बेगुनाही का सबूत देते है ? और विश्वविद्यालय शिक्षक संघ फिर कन्हैया को छुड़ाने के लिए तत्पर क्यों नही दीखते ? हद है बौद्धिकता की ।
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