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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Saturday, July 23, 2016

दोहा -अंतरजाल ,प्रीत



दोहा एक प्रयास ___/\___
१)
अंतरजाल का बज रहा जग में डंका जोर ।
अक्कड़ बक्कड भूले बच्चे थामे माउस छोर ॥
२)
 प्रीत की कैसी बानगी नेह समझ ना आय ।
भँवरे को जिनगी मिली पतिंगा जान गँवाय ॥


   

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