प्रेमसाधना
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हद से गुजर जाते है
जब ख्यालो में तुम्हारे
गूंगे हो जाते है अलफ़ाज़
छिप जाते है गहराई में
कही गहरे सागर में
की डाले न विध्न
कोई आवाज़
इस प्रेम साधना में
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यादें
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यादें नही
गेसुओं में उलझी
जल की नाजुक बूँदें
की
झटक दूँ
और बिखर जाएँ
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