क्षणिकाएँ -जिंदगी
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१)
जद्दोजहद
कभी खुद से
कभी तुझसे
जारी है
ऐ जिंदगी !
एक दाँव और लगा लूँ
तो चलूँ !
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२)
होती रही
रूह की
रस्मो रिवाजो से मुलाकात
और मैं
सोती रही !
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3)
ठगते रहे
एक दूजे को हम
कभी वो जीते
कभी मैं
दोनों खुश है
भ्रम जीते हैं
मैं
और
मेरी जिंदगी !
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४)
जिंदगी
तुझे खूब लूटा मैंने
लम्हा -लम्हा
घूँट -घूँट
पिया मैंने !
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हेलो जिंदगी
तुझसे हैं रु -बा-रु
ले चल जहाँ !
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