.

.
** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Saturday, January 21, 2017

नदी का जूनून



राक्षसी मुखौटे लगाये
उफनती लहरे
बार बार किनारो पर धकेल देती है
भरसक कोशिश करती है डराने  की
मौत का भय दिखाती है
पर
 हिम मानवो की गोद में खेली नदी को जूनून है 
 औरोरा बोरेअलिस की धुन पर नाचने का
बरमूडा ट्रायंगल में खो कर उसके रहस्य को जानने का
अंटार्टिका की  पेंगविंग्स के साथ हाथ मिलाने का
उसे समाना  है इन लहरो की बाहों में
मीलों की यात्रा ......
मंजिल के पास पहुंच कर

वापिस नही लौटती
जितनी तेजी से ये लहरें पटकती है किनारो पर
इसकी जिद बढती जाती है
सागर में मिल महासागर बनने की जिद
इन्ही लहरो के साथ चाँद को छूने की जिद
 खारे  में समां कर खारा हो जाने की जिद
काला  सागर में समाने  वाली एकमात्र नदी बनने की जिद
जो जीवन देती इसके ऊपरी सतह पर पलने वाली
गिनीचुनी मछलियो  और जीव जन्तुओ को
जिन्दा रखती है सागर के अस्तित्व को
सुनो न सागर 

खो जाने दो इसे बाहों में अपनी
बनने दो न इसे एक हिस्सा
तुम्हारा 



No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...