.

.
** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Thursday, January 19, 2017

एक ग़ज़ल,अधूरी बात-



वो जो लिखी थी कभी एक ग़ज़ल तुमने
रिस रिस के बह  रही है आज जिस्म से मेरे ॥


छोड़ गए थे तुम जहाँ बात अधूरी
ठहरे हैं वहीँ पर अब तलक लफ्ज़ मेरे ॥ 


No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...