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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, July 11, 2017

मुखौटा


मुखौटा
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१)
मुखौटे के पीछे का सच

जानते हुए भी
रास आ
 रहा है 
अनजान बने रहना
सध रहे है
दोनों के स्वार्थ
मुखौटे की आड़
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2)
भूल गए तुम कि
हवा से भी पर्दा करना था
भूल गए तुम कि
नर्म से नर्म घास भी होती हैं चुगलखोर
हाँ ..
भूल गए तुम कि ...
मुखौटे से केवल चेहरा छुपता है
गंध और आहट नही ....

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