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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Wednesday, November 28, 2012

"तेरे बिना "




  "तेरे बिना  "


आज की दुनिया में जीने की सबसे पहली शर्त है आत्मा का हत्या
उसी को विषय वस्तु बना मैंने ये चार लाइन लिखी है ......


     

किया रुखसत था तुझे जीने के लिए
जीना फिर भी दुश्वार हुआ मेरे लिए 

मार कर तुझको हर रोज मर रहे है
जख्मो के मोतियों की माला पीरों रहे है
क्या पता था तेरे बिन कटेंगे कुछ ही प
ल 
दुनिया के बाज़ार में हर रोज लुट रहे है
जहमत जब भी उठाई तुझे साथ ले चलू
जहाँ  के रस्मो रिवाजो ने शर्त ये ही धर दिया 

Tuesday, November 20, 2012

मृगतृष्णा .....




मृगतृष्णा (1)

मृगतृष्णा ......सुख दे जाती 
क्षणिक ही सही .....पर अनंत 
रुपहला .....कलकल करता सा 
अच्छा लगे भागना उनके पीछे 
प्यास बढा देती  है ....पर 
कुछ पल ही सही .... 
तृप्ति का एहसास दे जाती  है।।

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मृगतृष्णा (2)

यथार्थ से दूर 
मरीचिकाएँ ..लुभाती 
गर्म रेत पे 
कलकल बहती धारा 
चमकीली ..स्वच्छ ...
निर्मल सी ..अमृत धारा 
बढ़ा देती प्यास 
क्षणिक सुख प्राप्ति की 
परम उत्कंठा ...
भर देती ऊर्जा 
दौड़ लगाती सरपट 
सुख की चाह 
प्रतिफल ...
मंजिल मिली 
रेत ही रेत ..तप्त ..
मुट्ठी से फिसलती चाह 
बढ़ा देती प्यास ..
मुड़ के देखा 
दूर खड़ा यथार्थ ... मुस्कराता 
शायद  ठहाके लगाता सा 
बुलाता बाहें फैलाये 
सिमट जाती उसके आगोश में 
छू कर .. महसूस करती 
क्या और एक मरीचिका ...???
नही यही है सच्चा सुख 
कठोर, निर्मम, निष्ठुर 
पर है मेरा ..




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Friday, November 2, 2012

चन्दा रे सुन जरा




                   
हाइकू 
चंदा ठहर 
अंखियों में बसा लूँ
पिया की छबि

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अद्भुत दृश्य
चन्दा जो देखे चाँद
दोनों जले रे 
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दो दो है चाँद .... !!!
भर्मायी  सकुचाई
पिया निहारूं 
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 ना चाहूँ पिया 
और कुछ श्रृंगार
तुम हो साथ 

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लौटा दो मुझे
ओ छलिया अम्बर 
वो चाँद मेरा
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तके नयन
रंगे पिया  के रंग  
नीलगगन 
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Thursday, November 1, 2012

कुछ कहता है ये दिल



सो गए ख्वाब बर्फ की चादर तले
तेरे वादों पर एतबार आज भी है 

जलाये रखा है तेरे प्यार का दीपक 

इंतेजार के साथ बर्फ की चादर तले

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वो तेरा गुजरना गलियों से मेरी
वो दिल का धड़कना आह्ट पे तेरी
रिश्ता ये दिलो का है क्यों अनजान
ना मुझे पता न तुझे मालूम 



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एहसास बदल जाते है ,
इंसान बदल जाते है ,
दिल है की मानता नही ,
तनहा ही जिए जाते है 
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जाने क्या खता हुयी , रूठा सा है यार मेरा ,
कितना मनाऊ उसको ,दिल तो मेरा भी टुटा है।।




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