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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, December 27, 2016

उन तक पहुंचेगी सदा मेरी


1) 
टेढ़े  है रस्ते लगेगी जरा देरी
उन तक पहुंचेगी सदा मेरी ।
वो जो जीते रहे तुम्हे देख कर
उनको मार डालेगी खता तेरी ।
2)

कुछ पल तुझसे  बतला   लूँ तो चलूँ
तस्वीर  नयनो में बसा  लूँ तो चलूँ
कहते थे मुझको कभी जो  जिंदगी
जिन्दा हूँ अब तक बता दूँ तो चलूँ 

Sunday, December 25, 2016

लघुकथा-चोरी

लघुकथा लिखने का प्रथम प्रयास
आप मित्रो का मार्गदर्शन सदैव अपेक्षित है 
चोरी
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"बदलेगा सब बदलेगा,थोड़ा समय तो चाहिए न ,कोई छोटा मोटा रोग नही न है इ भ्रष्टाचार।"
"पचास दिन कहले थे परधान मंत्री जी ,तियालीस दिन हो गया ।हम लोग को तो अभी तक सब्जी ,राशन ख़रीदे में मुश्किल हो रहा। और कितना बखत लगेगा महाराज। अपने सेठ को देखिये इनको का मुश्किल हो रहा ।इनका सारा काम तो चल न रहा है । भष्टाचार करते है इ लोग ,टैक्स चुराते है इ लोग और भोगे पड़े है हम आम गरीब जनता को।"
"देख लेना जेतना टैक्स चोरी किये है ,हाई फाइ दाम में सामान बेचे है सब माल बाहर कर लेगा इनकम टैक्स वाला। सबर रखो तनी ।भाई सरकार का पैसा है सरकार डंडा कर कर के बसुलेगी देख लेना ।सारा नबाबी झड़ जायेगा ।
अच्छा सुनो भैया भाभी आ रहे है हम थोड़ा स्टेशन जा कर आते है उनको रिसीव करके।सेठ को बोल दिए थे सुबह ही ।तुम जरा काउंटर सम्हाल लेना ।"
"ठीक है जाईये ।सुने है अभी बड़ा चेकिंग उकिंग चल रहा है ।प्लेटफॉर्म टिकट कटवा लीजियेगा।"
"हाहा। तुम भी गजबे बात करते हो। । अरे मेन गेट से कौन जाता है ।रोड पर थोड़ा आगे जाने पर एक दीवार थोड़ा टूटा हुआ है उहें से घुस जायेंगे । थोड़ा आगे बढ़ेंगे प्लेटफार्म आ जायेगा । आज तक कभी हमको कोई दिक्कत नही आया । फिर 5 रुपया कौन बर्बाद करता है ।एक हमारे टिकट न लेने से सरकार का खजाना में कौन सा डाका पड़ जाएगा।चलो चलते है ।तुम इधर ध्यान रखना।"
कह कर राम खेलावन निकल लिया। सुधीर काउंटर पर जम गया। सेठ जो इधर कान लगाये सब सुन रहा था वापिस टी वी पर आम गरीब जनता का इंटरव्यू देखने लगा काला धन और भष्टाचार को रोकने के लिए लोग प्रधानमंत्री के कसीदे पढ़ रहे थे ।सेठ मंद मंद मुस्करा रहा था ।
*सुनीता अग्रवाल *नेह*
२५/12/2016

Thursday, December 8, 2016

आज का दिन ...


फिर बीत गया
आज का दिन ...
कुछ अनकही बातों के साथ
कुछ बिसरी यादों के साथ
कुछ मीठे ख्यालो के साथ
कुछ अनसुलझे सवालों के साथ
कुछ इन्तजार के साथ
कुछ उम्मीदों के साथ
फिर बीत गया
आज का दिन ।
*नेह सुनीता*

Friday, December 2, 2016

हम कुछ नही कहते


यूँही  दो लाइन में मन की बात लिखने की कोशिश :)
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पुराने जख्मो का उनसे क्या करना ज़िकर

इश्क फिर सामने खड़ा है नया फरेब लेकर ।
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बीत जाते है मेरे दिन रात उन्हें देखते सुनते
उनको ये गम है कि हम कुछ नही कहते  । 


**Neh sunita**(Sunita Agarwal)
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