.

.
** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Monday, September 18, 2017

अंधेरा

अंधेरा
***********
उसने अंधकार में डूबे उस पथ पर एक दीया जला कर रख दिया । उसके पास ही एक पर्ची लिख कर रख दी जिस किसी को रोशनी की जरूरत है वो इसमें से रोशनी ले कर जा सकता पर साथ ही इसमें थोड़ा तेल डालता जाय । कुछ घण्टे बाद आस पास की बस्ती के हर घर में धीमा धीमा प्रकाश दिखने लगा ।उस रोशनी के कई टुकड़े हो चुके थे । पर वो दीया बुझ चुका था । वो रास्ता फिर से अंधकार में डूब गया ।

*सुनीता अग्रवाल "नेह"
30/8/2017
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...