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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Wednesday, September 9, 2015

बदल गया है दिल मेरे शहर का …।


बदल गया है  दिल मेरे  शहर  का   …।
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मेरा शहर
ट्रेफिक से लदी -फदी
चिल्ल्पों करती
गालियां बचपन की
रेड लाइट -स्टॉप
येलो लाइट -बी रेडी
ग्रीन लाइट -गो
से  अनजान
आगे निकलने की होड़ में
टकराते लोग
सुसंस्कृत भाषा में
माँ , बहन के रिश्तो से
एक दूजे को नवाजते लोग
बढ़ती जो बात
बातों -बातों में
जूतम पैजार
किरिया करम
अगली पिछली पीढ़ियों का
करते लोग
अचानक स्फूर्त
अभी तक  जो
उठा रहे लुफ्त
थोड़ा ठहर
गुजरते लोग
बीच बचाव करते
कभी इस पर
कभी उस पर
हाथ आजमाते
शांति ,शान्ति का नारा  लगा
चिचियाते लोग
 सुलह का सेहरा
हर कोई धरे माथे
एक दूजे को गले
मिलवाते लोग
नहीं मिले -
संवेदनाओ से भरे
वे  संकीर्ण पथ
अब हो  गए है चौड़े
सुन्दर पुलों से आवृत
 दिखते है अब
एक दूजे अनजान
 क्षण क्षण को थामे
अपनी हो धुन में
भागते लोग
बरसो बाद जो मिली
लगने लगा है बदला बदला
मेरा शहर
हाँ बदल गया है साथ ही
 दिल शहर  का   …।

   









Tuesday, September 1, 2015

रिश्ता


करने लगा है  बात   आँखों में आँख डाल
 आँचल में छिपने वाला  शेर  हो चला है ।

निकाल देता है वर्षा को चाहे जब घर से
रुख आसमान का क्यों कड़ा हो चला है ।

निभ गया दो दिन तो जश्न मनाने लगे
रिश्ता भी फेविकोल का एड हो चला है ।

रख आया है दीपक रात चौराहे पर
था इंसान अब मसीहा हो चला है ।

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