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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, November 19, 2013

अप्पू एंड मनु इन मूवी हॉल


watch video presentation on you tube .. if like or dislike please leave a comment .. :)
http://www.youtube.com/watch?v=crVhn6hdqME






"हाथी " इस विषय को पढ़ कर मुझे एक घटना याद आ गयी ..मेरे बचपन की .. जब एशियाड गेम्स हुए थे इंडिया में दिल्ली में .. हमारी एक आंटी घुमने आई थी दिल्ली और यहाँ से एक प्यारा सा छोटा सा हाथी ले जाकर मेरे छोटे भाई को दिया था गिफ्ट में ..उसे वो हाथी बहुत पसंद आया .. उसे बहुत प्यार करता था वो ... उसी पर एक कविता लिखने की कोशिश की है ...

दिल्ली से आंटी थी आई
मनु के लिए अप्पू लायी

भोला भाला गोल मटोल
लम्बी सूंड और आंखे गोल

मनु अप्पू रहते साथ
चाहे दिन हो या हो रात

मनु की बातो का जवाब
सीटी बजा कर देते जनाब

तभी शहर में एक पिक्चर आई
"हाथी मेरे साथी " ने धूम मचाई

पापा ने भी टिकट मंगाई
अप्पू को भी ले गया भाई

कुर्सी पर बैठे  मनु जम कर
कंधे पे बैठ अप्पू देखे पिक्चर

जब जब हाथी परदे पर आता
सीटी बजा अप्पू शोर मचाता

अप्पू के तो मजे हो रहे
पर दर्शक सारे बोर हो रहे

किसी ने जाकर गार्ड बुलाया
मनु जी को डांट पिलाया

अब तो और भी बुरा हाल था
पीं पीं के साथ मनु रो रहा था

चारो ओर मचा तहलका
बंटाधार हुआ उस शो का

आखिर सबने हार मान ली
मनु जी की बात मान ली

पर साथ ये शर्त भी रख दी
शोर न करेंगे अब अप्पू जी

एक चोकलेट पर मनु हुए खुश
दर्शको भी अब हो गए खुश 


Sunday, November 10, 2013

काहे प्रीत बढ़ायी


माहिया लिखने कि एक कोशिश----

दुल्हन सी शर्माती
स्याह हुयी प्राती
बादल थे  उत्पाती।

ठोकर जब जब खाती
अल्हड नदिया सी
गति मेरी  बढ़  जाती।

मरना तो होगा ही
जी कर दिखलाये
हिम्मत वाला वो ही।

सपना ये सच होगा
होगी भोर सुखद
सूरज अपना होगा।

हरना  पथ के हर तम
दीपक बन कर तुम
बाती  बन जाये हम ।

रात भर न वो आया
दिन में तड़पाया
साजन न सखी निंदिया।

कुचले मेरे सपने
कोमल सतरंगी
थे वो मेरे अपने।

इक  दीप सजाया है
चौखट पर मेरी
आँधी  का साया है।

गिन गिन रोटी गढ़ती
पढ़ लिख महिलायें
स्वपन गृह संजोती।

काहे प्रीत बढ़ायी
परदेशी पंक्षी
ऋतु बदले उड़ जाई।

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