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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Wednesday, January 23, 2013

HAIGA 2





जीवन नैया
अब तेरे हवाले
पार लगा दे

 साँसे गिनती
बिना हरियाली के
धरा हमारी

जीवनदात्री
हरीतिमा की प्यासी
चली ढूंढने

धरती उड़ी
उड़नखटोला पे
पिया मिलन

क्षितिज सम
तेरा मेरा मिलन
नभ प्रांगन

अम्बर हठी
मेघ बनाये बंदी
धरती प्यासी

Saturday, January 19, 2013

सुन री पवन




सुन री पवन 
यार है रूठा 
ले जा संदेशा  
मेरे प्यार का 
सहलाके उसकी 
घुंघराली  लटो  को 
चुपके से कानो में कहना 
विरहाग्नि इधर भी लगी है 

प्यार का तुम अहसास  यूँ भरना 
छूके उसकी कोमल अधरों को 

यूँ न रहो गुमशुम कहना 
चूम के अलकें 


खोलो तुम पलकें 
देखो सजन आया कहना 
          
                @}- नेह  -{@


Friday, January 18, 2013

संवेदनाये



मुख दर्पण
देख न पाये सखी
प्रेमांध नैन 


बैठ मुंडेर

काँव -काँव करे है

श्वेत  कपोत


मृत जो हुयी

संवेदनाये  मेरी
मैं जीती गयी

सहला गयी
घुंघराली  लटों  को
बेशर्म  हवा




करूँ  अर्पण

कब्र  पर अपनी
अश्क  सुमन v

शाश्वत प्रेम


                                                 
                                                  

बांसुरी बनूँ
तेरे होठो पे सजू
गीतों में ढलूँ

नैन हमारे
बसे ख्वाब तुम्हारे
है मनमानी /अतिक्रमण


कोमल साँसे
बांधे नाजुक रिश्ते
फिर से जी ले

नैना बाबले
शरमो हया भरे
झुके रहते

मन के घाव
बन गए नासूर
रिसते रहे

झूमे मनवा
सुन री ओ पुरवा
संग है पिया

मनमोहन
बड़ा है चित्तचोर
भोली ग्वालन

चालाक बड़ी
करे है पक्षपात
बांसुरी तेरी

कूकी  कोयल
अमवा की डारी पे
छाया वसंत

शाश्वत प्रेम
राधामोहन युग्म
जग क्या जाने



कौन किसमे ??





तन शव  है
जीवात्मा  है  मदारी
नचाता खूब 



 तन के कर्म
भोगती  रहे रूह
प्रत्येक  जन्म 



तन नश्वर
मानसिक मिलन 

शाश्वत  प्रेम 



कौन किसमे ??
एक दूजे के बिन
दोनों अधूरे 



तम को मिटा

जलाएं प्रेम दीप
रोशन जहाँ

एक दीपक
जलाना  अंतर्मन
 प्रेम ,  दया  का


फोड़ो भी अब

नफरत को मिटा
प्यार के बम

Tuesday, January 15, 2013

दर्पण बोला




सोने की थाल 
धुंध  संग संघर्ष

निखरी आभा 




भ्रम  जो टुटा

बिखरे  ख्वाब  सभी
शीशे  के बने




दर्पण बोला

"मै "  ही सबसे बुरा
ढूंढता  कहाँ ??



प्रतिबिंबित

अंतर्मन मैं तेरा
नजर  मिला 




नम  थी  धरा

पत्ते पत्ते पसीजे
नभ जो रोया



जलती रही 
संस्कारो  की चिताएं

देश में मेरे 




नभ के आँसू

सज गए धरा पे
बनके मोती


जीवन गीत









जीवन गीत
मिलन विरह का
सुर सजाऊं 



जीवन रेल
सुख दुःख पटरी
ठेलमठेल 





बनाते रहे


फलसफे जीने के
जिन्दगी भर 




यादों  के साये
अमराई घनेरी
पीड़  मुस्काए 

रेशमी धुंध


रेशमी  धुंध
लिपटी  कली  कली
पुष्प वल्लरी 

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ओस  की माला
पहन  इतराई
गुलाब  कली 



Friday, January 4, 2013

ऐ चाँद





ऐ  चाँद
 यूँ ना शर्मा खोल दे लब
सुना  जा दिलबर  का हाल
वो अब तक है तेरी  ओर
टकटकी  लगाये हुए

           * * नेह  * *

Wednesday, January 2, 2013

HAIGA ...1














haiku









निहारे सूर्य
कोहरे की चादर
हुआ मायूस 

सूरज सोया
ओढ़ मोती रजाई
खवाबों में खोया

झीनी चादर
देती  गरमाहट
आकाश तले

एक कैंडल
न्याय ..सद्भाव हेतु
जलाना तुम 


गुजरे लम्हे
बिखेरते मुस्कान
लबों पे मेरे 



गुजरे लम्हे
बने हमकदम 
 तन्हा सफ़र 

गुजरे लम्हे
बनते हमराज़
तन्हा रातो में 




HAPPY NEW YEAR











बिखरी ख़ुशी 
स्वर्ण  रश्मियों संग
नव वर्ष  में

चहुँ दिशाएँ
उमंगें तरंगित
नव  वर्ष  में 


सजाते  नैना
नए ख्व़ाब .. रंगीन 

नये  साल  में

बदले  सोच 
पंचांग  साथ  हम
नव वर्ष में

खिलते रहे
आस विस्वास पुष्प
चमन  हर्षे







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