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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Thursday, May 23, 2024

बिटिया की शादी में स्वरचित गीत



                                                             video credit "Sanidhya Goyal"


लाडो चली है साजन से मिलने 
मन में भरे है उमंग और सपने
सपनो का उसका साजन सजीला
बनाएंगे वो  प्रीत का घर
काँधे से कांधा  मिला
साजन  के घर मे होगी
ममता की फुलवारी
मगन हो कर उसमें
भूलेगी बाबुल लाड़ी
नाजाँ  पली  मेरी लाडो 
है थोड़ी भोली भाली
नादानी माफ़ करना
अब है ये बेटी थारी ।

Monday, May 20, 2024

रसोई घर से नोटबुक तक

विधा _ हाईबुन 
शीर्षक - भ्रूणहत्या 
कई कहानियां रोज जन्म लेती है ।कभी रसोई में ,कभी कपड़े धोते हुए तो कभी सब्जी काटते हुए । और नोटबुक तक पहुंचते - पहुंचते खो जाती है । फिर कितनी भी कोशिश करो पर वो लौटती नहीं हैं। कोई कोई कुछ दयालु हो एक सिरा कोई पकड़ा जाती हैं। और फिर कभी सारा दिन तो कभी कई दिन,महीने,साल विरले ही पूर्ण होती हैं । किसी ने सच ही कहा है लेखन एक पूर्णकालिक काम है। कहां फ्री हो पातीं हैं हम की सब्जी जलती छोड़ दे या कोई भी हाथ का काम  और लेकर बैठ जाएं नोटबुक।और इस तरह रह जातीं है कई कहानियां अजन्मी ही ।

अधूरी कृति 
दिन रात झेलती 
दर्द प्रसूति। 

Sunday, May 12, 2024

माँ के नाम एक चिट्ठी

माँ 

अचंभित हो न ये पत्र देख कर। रोज तो फोन में ही बात हो जाती है फिर पत्र ! हां आज दिल किया कि तुम्हे पत्र लिखूँ । कई बातें जो सालों से मन मे दबी है जो आज भी लबों की परिधि में सिमटी है उनको आज़ादी दे दूं । माँ तुमने कितनी जद्दोजहद कर हम भाई बहनों को पाला पढ़ाया और काबिल बनाया। पिता जी अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते तो घर की सारी जिम्मेदारी तुमने अकेले ने सम्हाली । घर बाहर सब कुछ ।  माँ आज मैं भी दो बच्चों की माँ  हूँ। उनको पालते सम्हालते मैंने जाना कि कितनी कठिन और चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है यह । ऐसे वक्त में कई बार जब बच्चे किसी बात पर रूठ जाते है या कभी बहस करते हैं किसी सामान या खाने  की बर्बादी करते है तो उन्हें डांटते  या समझाते वक्त  मेरे मुंह से अक्सर वो बातें ही निकलतीं हैं जो तुम हमें कहा करतीं थीं पर उस वक्त तुम्हारी वो डांट  तुम्हारी वो नसीहतें हमें बुरी लगती थी ।हमारा मुँह गुब्बारे सा फूल जाता था ।  अब सब समझ आ गया है की तुम्हारी उन्हीं बातों ने मुझे इस लायक बनाया की मैं माँ की इस जिम्मेदारी को भली भाँति निभा सकूँ । और उस समय तुमसे की गई हर बहस के लिए माफ़ी मांग सकूँ और तुम्हें शुक्रिया कह सकूँ जो फोन पर आज  भी चाहते हुए भी नही कह पाती । आज "मातृ दिवस " पर लोग माँ को गिफ्ट दे रहे हैं मुझे बस ये चिट्ठी ही मिली तुम्हे देने को । हालांकि पता है माँ अपने बच्चों से न नाराज रहती है ना शिकायत करती है ना उनका शुक्रिया चाहती है । पर मैं बस अपने मन का बोझ हल्का करना चाहती हूं ।
ढेर सारी किस्सी और एक जादू वाली झप्पी ।
तुम्हारी डॉल
सुनीता अग्रवाल *नेह*
नई दिल्ली
ई मेल -sunitagobind@gmail.com



उपरोक्त चिट्ठी की रेकॉर्डिंग मेरी अपनी आवाज में 👇😊🙏


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