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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Friday, November 2, 2012

चन्दा रे सुन जरा




                   
हाइकू 
चंदा ठहर 
अंखियों में बसा लूँ
पिया की छबि

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अद्भुत दृश्य
चन्दा जो देखे चाँद
दोनों जले रे 
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दो दो है चाँद .... !!!
भर्मायी  सकुचाई
पिया निहारूं 
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 ना चाहूँ पिया 
और कुछ श्रृंगार
तुम हो साथ 

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लौटा दो मुझे
ओ छलिया अम्बर 
वो चाँद मेरा
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तके नयन
रंगे पिया  के रंग  
नीलगगन 
************* 



 

 

2 comments:

ashwini kumar vishnu said...

अवसर के अनुकूल, सुन्दर! " लौटा दो मुझे / ओ छलिया अंबर / वो चाँद मेरा " और " तकें नयन / रँगे पिया के रँग / नीलगगन " प्रेम और प्रेम की स्मृतियाँ में मन को मोड़ते मनमोहक हाइकु!

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

@ashmini jee ... bahut bahut abhar apka ...apne apna kimti samay nikal ise padha or us se kimti hai apke ye coments .. hardik abhinandan :)

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