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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Friday, May 24, 2013

दर्द के नग्मे



ना सुना दर्द के नग्मे हमे 

जिन्द्गी अब रास आती नही 

मौत कहे तु चल मेरे सँग 

पर शर्त है एक बार मुस्कराने की

4 comments:

संजय भास्‍कर said...

वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब

संजय भास्‍कर said...

कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

sukriya :)

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

@sanjay ji margdarasan ke liye haardik aabhar .. sahi sujhaw diya hai apne maine turant hi is par amal kiya .. thnx again :)

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