एक नज़र ..चलते चलते
.
** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *
Friday, January 16, 2015
सूरज का इन्तजार
क्षणिका एक प्रयास -- सुझावों का स्वागत है :)
क्षणिका १)
अजब निराली
आँधियों की अदा
उड़ा ले जाती
धूल पुरानी
धर देती नई
*********
क्षणिका २)
जम गयी है
डल झील
अब
नहीं चलते शिकारे
हसीं ख़्वाबों के
इन आँखों को है
सूरज का इन्तजार
**************
1 comment:
Septic Tank Cleaning Fort Smith
said...
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November 2, 2022 at 10:30 AM
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