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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, August 21, 2018

हम सब उस भीड़ का एक हिस्सा बन चुके है ।


सुनो भीड़
जिस बल के नशे में धुत्त
तुम कानून की चिन्दियाँ उड़ाते फिरते हो 
तुम्हारी वो  ताकत लाठी, भालो ,पत्थरो ,तलवारों में निहित है 
तुम्हारी वो ताकत सत्ता लोलुपों की रखैल है 
इन सबके वगैर तुम उस  फूल की तरह हो 
जो भगवान के मुकुट से गिर कर 
नयी भीड़ के पैरों तले रौंद दी जाती है
याद रखो युद्ध हो या शतरंज
प्यादे ही शहीद हुआ करते है 
ये भी याद रखने की बात है 
प्यादों के नाम कभी इतिहास की पन्नो  में नही लिखे जाते
ओह्ह...
भूल जाती हूँ  
भीड़ के कान नही होते 
भीड़ की आँखे भी नही होती 
यहाँ तो केवल कठपुतलियाँ है
लौट आती है मेरी आवाज मुझ तक 
देखती हूँ हर दिन 
भीड़ का रास 
खो गयी है आवाज़ मेरी 
सुन्न हो गए है कान
पथरा गयी है दृष्टि 
बस अब ये एक समाचार की हेडलाइंस भर रह गयी है 
प्रत्यक्ष 
या 
अप्रत्यक्ष 
मैं भी अब उसी भीड़ का हिस्सा बन चुकी हूँ
हम सब उस भीड़ का एक हिस्सा बन चुके है ।

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