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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, September 25, 2012

मौन निमंत्रण


आओ आज फिर मिल बैठे ,तुम और हम ,
मेरे अंतर्मन ........
कुछ तुम्हारी सुने कुछ अपनी कहे ,
 बहुत दिन हुए ...तुमसे मिले
सिमट गए तुम कही किसी कोने में
आतुर ..भयभीत ..उपेक्षित ...तिरस्कृत ...

भूल गयी थी .........
तुम्हारी इच्छाएं ..अभिलाषाएं
दफ़न हो गयी थी  ,जगत समुन्दर में
विवश्ताओ की भेट चढ़ा दिए थे तुम 
रिश्तों की खातिर 

मूक आँखों से हर जख्म पीते गए
 जीते गए ...बस जीते गए ..
हाँ ......है ये मेरा ही  स्वार्थ
आज  फुर्सत के चंद  लम्हों में
किया तुझे याद ....


आहत,व्यथित,विवश,रिश्तों से ठगी 
भेज रही हूँ प्रेम सन्देश ..
मेरे अंतर्मन ...
स्वीकार  करो .. मौन निमंत्रण 
आओ आज मिल बैठे
तुम ...और ....हम  !



4 comments:

Kirti Vardhan said...

swayam se baat karana bahut kathin hai, jab manushya swayam se baat karata hai , to vah apne man ki uljhi gutthiyan swayam hi khol bhi leta hai, ekant ke maun kshnon ko khubsurati se jiya hai in linon me ,. badhai

रचना दीक्षित said...

मन की कही सुनना सबसे जरूरी है जो मन की आवाज़ सुनते है उन्हें अपने पर भरोसा होता है.

सुंदर भाव लिये बढ़िया कविता. सुनीता जी आप का ब्लॉग भी मैंने ज्वाइन कर लिया है जिससे आगे भी संपर्क बना रहे. ऐसे ही बढ़िया लिखती रहें. शुभकामनाएँ.

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

@kirti vardhan sir ji .... apne sahi kaha aj kisi ke pass tym nhi jaise sab ek lahar ke sath anvrat bhage chahe ja rahe hai ..kisikoek chhann ruk kar sochne ki fursat nhi khud ke baare me hum kya the samay or samaj ne hume kya bana diya kya khoya kya paya ..isi bhawna ko prastut karne ki kosis ki hai maine apne ise samjha or apni bahumulya pratikiya dekar ise sarthak bana diye hardik abhaarihu apki :)

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

@रचना दीक्षित ji ... bahut bahut sukriyaa apkaa ..apni sundarpratikriya de kar mujhe anugrihit tokiya hi sath hi mere blog ko join bhi kiyaaa bahut khusi huyi mujhe ye dekh kar :) swagat hai apka :)

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