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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, March 5, 2013

बसंती रंग



बनते शूल
बिन तेरे साजन
टेसू के फूल

रख  विश्वास
आस किरण फूटे
साँझ के बाद


साँझ किरण
दृश्य 
मनभावन

मन प्रसन्न

मन वसंत
जो सजन हो संग
महके वन 



आम्र मंजरी 

 दूँ पुष्पांजलि  माते
भर अंजुरी

बसंती रंग
निशानी कुर्बानी की
देश  औ ' दिल

हुआ हादसा
पत्थरों का शहर
पिघल गया



लुटाये जिया
 रंगीन कलियों पे
बासंती पिया

भौतिकवाद
घोले रिश्तों में नित
ये अवसाद


झरते पत्ते
सुना रहे संदेसा
सुख आएंगे /नवजीवन

पूनम रात
हुयी अमृतवर्षा
चातक प्यासा

आया जो मीत
उड़ा  ले गयी चित्त 

 हवा बसंती

खिलें  सरसों
जगे ख्वाब अधूरे
दबे थे बर्षों 


हार के जीती
जीत के हारी पिया
प्रेम की बाज़ी


छाया  बसंत 
जल रहे पलाश  

कूकी कोयल  लौट आओ सजन
 आई है प्रेम रुत  / नैना  राह  तकत


महंगाई को  प्रस्तुत करने की  एक कोशिश ...


गुल्लक  टुटा
 आया न गुड़ ...चना
मुन्ना  भी रूठा 

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