बनते शूल
बिन तेरे साजन
टेसू के फूल
रख विश्वास
आस किरण फूटे
साँझ के बाद
साँझ किरण
दृश्य मनभावन
मन प्रसन्न
मन वसंत
जो सजन हो संग
महके वन
आम्र मंजरी
दूँ पुष्पांजलि माते
भर अंजुरी
बसंती रंग
निशानी कुर्बानी की
देश औ ' दिल
हुआ हादसा
पत्थरों का शहर
पिघल गया
लुटाये जिया
रंगीन कलियों पे
बासंती पिया
भौतिकवाद
घोले रिश्तों में नित
ये अवसाद
झरते पत्ते
सुना रहे संदेसा
सुख आएंगे /नवजीवन
पूनम रात
हुयी अमृतवर्षा
चातक प्यासा
आया जो मीत
उड़ा ले गयी चित्त
हवा बसंती
खिलें सरसों
जगे ख्वाब अधूरे
दबे थे बर्षों
हार के जीती
जीत के हारी पिया
प्रेम की बाज़ी
छाया बसंत
जल रहे पलाश
कूकी कोयल लौट आओ सजन
आई है प्रेम रुत / नैना राह तकत
महंगाई को प्रस्तुत करने की एक कोशिश ...
गुल्लक टुटा
आया न गुड़ ...चना
मुन्ना भी रूठा
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