कल थे आगे
पताका उठाये जो
नारी हक की
लूट रहे अस्मत
कलम की धार से
नग्नता कहाँ ?
दुध पिलाती माता
नग्न दिखती
नग्नता कहाँ .... दृष्टी ...??
या कुंठित सोच में ?
ताजमहल
यादगार प्यार की
कब्र महल
प्यार में जिसके ज़माने से रुसवा हो गए
वो आये और लाश कह दफना के चले गए
हुआ पत्थर
तराशे बेखबर
ताजमहल
हुआ पत्थर
बना ताजमहल
वो / था बेखबर
बना पत्थर
तराश रहा था जब
ताजमहल
प्यार सौगात
मिला जैसे हो खुदा
करो बंदगी
नहीं चाहिए
वफ़ा जफा का लेखा
प्रेम अमर ।
बुझे न कोई
प्रेम रसीला काव्य
नही गणित / सीधा गणित
दर्दे दिल है
यूँही बयाँ न कर
शब्द चितेरे
लिख देंगे ग़ज़ल
चुरा आंसु ये तेरे
रहम नही
है इश्क इबादत
बसते खुदा
गुनगुनाती
दे गयी पाती हवा
मेरे पिया की
सजनी भोली
पिया परदेशिया
राह तकती
पुकारती है
स्वतंत्रता रक्षार्थ
भारतमाता
खोजती माता
बेशकीमती रत्न
गड़े थे धरा
सुना है मैंने
इश्क इबादत है
दिलो को जोड़े
अश्रु वो तेरे
पलकों पर मेरे
मोती से सजे
सुहानी यादें
बसी खुशबू जैसी
मन में मेरे
ज़माने का क्या
सेंकता हाथ वह
इश्क चिता पे
सुहानी यादें
बसी खुशबू जैसी
मन में मेरे
ज़माने का क्या
सेंकता हाथ वह
इश्क चिता पे
फूल थे रोपे
बंजर दिल तेरा
कैक्टस उगे
बंजर दिल तेरा
कैक्टस उगे
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