श्याम तेरे सलोने मुख की आज छटा ही निराली है
राधा ने तेरे श्यामल तन पे प्रीत से की चित्रकारी है
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ओ , अनजाने फरिश्ते ,,
तूने ये कैसा रंग डाला
रंग गया मेरा तन मन सारा
तन्हाई की होली जल गयी
ख्वाबों की रंगोली सज गयी
अरमानो के फूल खिले है
इन्द्रधनुषी सपने सजे है
अहसासों की खुशबू से अब
महके है मन उपवन सारा
लाल हरे या नीले पीले
सारे रंग बेरंग दिखे है
अबके होली ओ मोरे रसिया
तेरे रंग ये मनमीत रंगा है
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जा रे ओ रसिया , तू है छलिया
रास रचाता गोपियों के संग
मोहिनी तेरी बतिया है
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बृष भानू लली के नैन रतनारे
भीगे है कान्हा देख प्रीत रंग रे
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मोहक मुस्कान बांकी चितवन
बासुरी बजाये नन्द नन्दन
झूमी लतिका ..झूमी गोपिया
संग झूमे राधे मोहन रे
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इत राधे उत मोहन ठारे
हो रही बरजोरी रे
लाल गुलाबी गुलाल उड़त है
रंग पिचकारी की धार चली रे
राधे मोहन मोहन राधे
दोनों एक दूजे में खोये
नैनो से नैन जो मिलने लगे
प्रीत के रंग रंगी होली रे
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4 comments:
utam-**
sukriya @Aditya ji ..apne meri rachna par apni amulya pratikriya karke mujhe protsahit kiya hai hardik abhar :)
nc
sukriya @Dr.prarthna pandit ji .... :)
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