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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Thursday, October 3, 2013

ॐ ज़प ले





ओ राम दुलारे ,रहिमन प्यारे
तू नानक भज या ईसा ध्याले
सब  में मैं ही बसा 
जरा ध्यान तू करले ... 
ॐ जाप तू कर ले ....ॐ ॐ ज़प ले

जा तू काशी  या जा काबा
गुरूद्वारे जा या तू गिरिजा
महल अनेको तुमने बनाये
पर मैं तेरे मन का चेरा
जरा झांक तू मन में .......
ॐ जाप तू करले ......ॐ ॐ ज़प ले

धर्म अनेकों तुमने पाले
पर इंसा धर्म न पाला रे
पाना चाहो मुझको तो फिर
इंसा बन के दिखाना रे
जरा मन में विचार ले .......
ॐ जाप तू करले ......ॐ ॐ ज़प ले

कहले मुझको ॐ या अल्लाह
होली सोल या एक आधारा
मैं तो हूँ बस प्रेम की इक लौ
जलना चाहूँ  तेरे अन्दर 
जग रोशन कर दे .... .

ॐ जाप तू करले ......ॐ ॐ ज़प ले






6 comments:

Durga prasad mathur said...

सुन्दर धार्मिक भाव ।

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार @दुर्गा प्रसाद जी :)

दिगम्बर नासवा said...

ओम ही तो एक तत्व है जो सब में सामान है ...

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

रचना पर आपकी अनमोल प्रतिक्रया के लिए हार्दिक् आभार :)

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुन्दर ब्लॉग और रम्य रचना |

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

स्वागत है आपका तुषार जी .. सराहना के लिए हार्दिक आभार :)

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