कुछ दर्द अधूरे रहने दो
कुछ सर्द हवाएँ बहने दो
सिलसिले रहे यूँ ही चलते
कुछ हर्फ़ अधूरे रहने दो
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तेरी खामोश नजरो ने
एक सरगम सी छेड़ी है
छू कर मुझको बहकाती
ये बैरन हवा बसंती है
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मेरे भावो का विस्तार हो तुम
मेरे गीतों का अभिसार हो तुम
छेड़ जाती है जब हौले से हवा
दहका बहका सा रुखसार हो तुम
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