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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, March 26, 2013

गा रही फाग



रंगरेजवा
रंग मोरी चुनड
पिया  के रंग



ओ मोरे कान्हा
यूँ रंग दीज्यो मोहे
हो जाऊं कृष्णा


खेलेंगे रंग
बलम परदेशी
यादो के संग

गा रही फाग
पिया परदेशिया
विरहा गान

फाल्गुनी हवा
ले जाना संग तुम
घृणा के रंग


होली के अनगिनत रंगों में से एक रंग ये भी महंगाई का रंग ...इसकी भी धार झेलो आप ....:)

कईसे मनी 
कईसे मनी कईसे मनी हो रामा कईसे मनी गुझिया बिना होली कईसे मनी 
नकली खोआ--(मावा)
महंगी शक्कर
नक्कालो के राज मा
गैस सिलेंडर होय रहा सोना
रख दीन्हा उसको लोकर में
घी की भैया बात न पूछो
सुगंध भी लेत है टीन में 
कईसे मनी कईसे मनी कईसे मनी हो रामा कईसे मनी
बिना गुझिया के होरी 
कईसे मनी 
 


** नेह  **







2 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

सुन्दर हायकू....
सुन्दर कविता..
जीवन सतरंगे इन्द्रधनुष सा हो....

सस्नेह
अनु

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

@Expression (anu ji )...... bahut bahut sukriya ...apne apni sundar amulya pratikriya de mera utsah badhaya hai :) apke is sneh ki tahedil se abhari hu :)

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