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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Wednesday, April 24, 2013

जाने कयूँ करता आज मन मेरा




जाने कयूँ करता

आज मन मेरा
एक कश लगा लूँ
उड़ते देखूँ फिक्र को
बनके धुआँ
थोड़ा सा हँस लूँ

जाने कयूँ करता
आज मन मेरा
एक पैग चढ़ा लूँ
पी जाऊँ हर गम 
डाल के बर्फ
थोड़ा सा झूम लूँ

जाने कयूँ करता
आज मन मेरा

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

स्वागत एवं शुक्रिया @संजय जी ...ब्लॉग पर आकर उत्साह बढ़ने के लिए आपकी प्रतिक्रया अनमोल है मेरे लिए :)

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