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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Thursday, April 25, 2013

दुर्लभ काया




 काया दुल्हन
चढ़ पालकी चली
पिया मिलन

तन पिंजरा
उड़ जाएगा पंछी
अनंत यात्रा

दुर्लभ काया
देवगण तरसे
 वृथा  गंवाया

रूह मदारी
तन कठपुतली
कहे नाचो री

देह नश्वर
कहते ज्ञानी जन
आत्मा अमर

6 comments:

Unknown said...

bahut sundar sabhi haiku

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

sukriyaa :)

अरुन अनन्त said...

वाह बहुत ही सुन्दर हाइकू प्रस्तुत किये हैं आपने, प्रस्तुत चित्र को सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

@arun sharma ji ..... tahedil se sukrgujaar hu apki ... apni amul pratikriya de kar apne mera utsaah badhaya :) sadar :)

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

amulay sarahna hetu haardik aabhar @sanjay ji :)

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