मोक्षदायिनी
साधना भक्ति तप
दुर्गम पथ
जीवन पथ
करे मार्ग प्रशस्त
कर्म साधना
चाहूँ न कुछ
भक्ति वर देना माँ
प्रत्येक जन्म
चंचल चित्त
साधू जितना इसे
बहके नित
सौम्य सरल
दमके मुख मैया
मैं बलिहारी
जग जननी
हरो तम जग का
तू है कल्याणी
लाल चुनर
गले मुंडमाल है
माँ का शृंगार
सौम्य भारत
कलुषित ह्रदय
जनमानस
ये बर्बरता
बना भाग्य हमारा
क्यूँ पूजे माता ??!!
साध्य साधता
साधक तन मेरा
मन बाधक
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