अभी तो राह देखी है मंजिल बाकी है
ढली है नींव ही केवल मकान बाकी है ||
भीड़ में खो नहीं जाना सम्हल चल जरा
जश्न दीवानों का है ये अंजाम बाकी है||
घूम आये मरू गुलशन पर्वत पर है अब चढ़ना
कसमे बहुत खाली हमने अभी तकरार बाकी है ||
मंदिर ,मस्जिद या गिरिजा मिल ही जायेगा खुदा
जहर जीवन का पी ले जो वो तलाश बाकी है ||
चौखट पर मेरे धूप नही है पनप रहे है बड़ पीपल
छाया बन पाएंगे ये कभी इन्तजार वो बाकी है ||
खाली प्याले ,चाल सधी है ,प्यास भी मिटी नही ||
मिला जाए कोई साकीबाला अभी तो रात बाकी है
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