लय , छंद, सुर, ताल से परे खोल दिए है बंधन मन के अब मौन है तुम हो मैं हूँ नीरव में उजास-समय साक्षी पुलके --------------------------------------------------
दिन महीने साल बीत तो जायेंगे बिना तेरे हम चैन कहाँ पाएंगे लम्हा लम्हा पुकारेगा दिल तुझको आरजू में तेरी मिटते जायेंगे
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